अफगानिस्तान से सीख भारत के लिए 2021 में
भारत के लिए अफ़ग़ानिस्तान में हुआ परिवर्तन एक नही अनेक संदेश लेकर आता है । सिकंदर , कुषाण, हुन, आदि के काल से पोरस, से लेकर महाराजा रणजीत सिंह के समय और पिछले दो सौ सालों के भी अगर हम इतिहास देखें तो अफ़ग़ानिस्तान और खयबेर पख्तूनख्वा अखंड भारत की उत्तर पश्चिम ढाल थी । जिस आक्रांता ने हिंदुकुश पर कर लिया उसके लिए सिंधु नदी एक मात्र अवरोध बचता था । भारत को खंडित करने के पीछे शायद यही मंशा थी अंग्रेजों की , की भारत का पश्चिमी द्वार सदा आक्रान्ताओ के लिए खुला रहे । आज के परिपेक्ष में अगर देखें तो तालिबान नहीं, चीन, रूस और अमेरिका असली आक्रांता है । अफ़ग़ान, पश्तून, उज़बेक लड़ाकों की शक्त, भगौलिक क्षमता, कबिलिया मतभेद तो इन लोगों ने कभी मुजाहिद, कभी तालिबान , अलकायदा , इसिस के रूप में इस्तेमाल किया । पाकिस्तान की भूमिका इसमे सिर्फ उतनी ही है, जितनी कैकयी, शकुनि की रामायण महाभरत में थी । तो ये हैरानी की बात नहीं ये दोनों इतिहासिक लोग इसी क्षेत्र से आते थे । धर्म की ज़हर और विदेशी मदद से भारत के इस टुकड़े ने भारत के टुकड़े करने के लिए अमेरिका का टट्टू बनना स्वीकार किया, और अमेरिका ने इसका इस्तेमाल ...